Wednesday 18 November 2015

यदि हिन्दू तालिबान होता तो!!

पेरिस में हमला हो गया! करीब 150 के लगभग निर्दोष लोगों को मार दिए गया, हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट इन सीरिया ने ली है, अनीष कपूर जी आप इसे कौन सा तालिबान कहेंगे या फिर भारत विरोध ही आपके लेखन का हिस्सा है ? आपने 'द गार्डियन' अखबार में जिस तरीके से दादरी की घटना का उल्लेख कर भारत में धार्मिक सहिष्णुता को  ख़तरे में बताया है उसी तरह पाकिस्तान या अन्य इस्लामिक राष्ट्रों में धार्मिक सहिष्णुता मापने का आपका पैमाना कौनसा है ? हम अभी तक नहीं समझ पाए कि आपने हिन्दू तालिबान किस आधार पर बताया है ? इस आधार पर कि बस भारत में एक मुस्लिम की हत्या हो गयी! यदि आपका मापदंड यही है तो मै आपको बता दूँ , आस्ट्रेलिया, अमेरिका व् अन्य देशों में कट्टर ईसाईयों के द्वारा सिखों व् हिन्दुओं पर अनेक हमले हो चुके क्या आप उन्हें  इसाई तालिबान कह सकते हो, या फिर इस  इस आधार पर कि यहाँ  भारत में हज सब्सिडी दी जाती है ? जो विश्व के किसी भी मुस्लिम राष्ट्र में नहीं मिलती | या फिर इस आधार पर कि भारत में मंदिरों पर टेक्स है और मस्जिदों पर नहीं? या फिर आपका आधार यह रहा हो कि भारत में उपराष्ट्रपति मुस्लिम समुदाय में है? लेकिन भारतीयों से ज्यादा सहिष्णु आपको कहाँ मिलेंगे जिनके मंदिर टूटे, जिनकी संस्कृति लुटी जिनके देवी देवता को जब कोई गाली देता है तो वो फिर भी उग्र होने के बजाय भारतीय सविंधान में आस्था रखते हुए न्याय की आस करता है  जबकि मुस्लिमों को उनके धर्मानुसार विवाह,  विरासत, और वक्फ संम्पत्ति से जूडे अधिकांश  मामले मुस्लिम कानून शरियत के द्वारा नियंत्रित करने की छुट भारत सरकार ने दे रखी है । फिर भी आपने भारत की सहनशीलता और धर्मनिरपेक्षता पर प्रश्न चिन्ह लगाया यदि हिन्दू तालिबान होता तो क्या ओवेसी इस तरह बयान देने की हिम्मत करता कि राम की माता कौशल्या पता नहीं कहाँ-कहाँ मुहं मारती फिरी होगी !!!!
आप सब लोग भारत को खुले मंच से बदनाम कर रहे है, क्या आप लोग इतनी  हिम्मत की पत्रकारिकता कर सकते हैं, जो खुले-आम “आई. एस. आई. एस” तालिबान  जैसे जेहादी संगठन या मुस्लिम तालिबान को या इस्लामिक बुद्धिजीवी वर्ग को कटघरे में खड़ा कर सके? पश्चिमी मीडिया पहले भारत को संपेरों का देश कहता था और जब भारत आर्थिक तरक्की करने लगा तो पश्चिमी मीडिया ने भारत को दंगों और नफरत का देश कहना शुरू कर दिया। आज उन्हें भारत के अन्दर मुस्लिमों के हितों की परवाह हो गयी लेकिन जब पाकिस्तान में 1947 से अब तक 30% हिन्दू आबादी से 2% तक आ गयी इन्हें कभी वहां मुस्लिम तालिबान नजर नहीं आया, बंगलादेश से जान बचाकर भागते हिन्दू नजर नहीं आते, 1990 में कश्मीर के अन्दर मुस्लिम तालिबान नजर नहीं आया, कुछ मुर्ख और बदजुबान नेताओं के बयान के बाद  नजर आया तो हिन्दू तालिबान! अनीष कपूर जी यदि भारत में हिन्दू तालिबान होता! तो मस्जिदों के लिए भारत में जगह न होती, पांच वक्त की नमाज भारत में न गूंजती, भारत में एक  मुस्लिम राजधानी दिल्ली का उपराज्यपाल न होता, हज के लिए सब्सिडी न होती, मक्का में भारतीय हज यात्रियों के लिए भारत सरकार के द्वारा उनके विश्राम के लिए भवन निर्माण का पैकेज न होता| आज पश्चिमी मीडिया को भारत के अन्दर दंगा, नफरत दिखाई देने लगी असहिष्णुता, असहनशीलता पर बहस मंथन होने लगे यदि हिन्दू तालिबान होता तो मुस्लिम पनाह पाने को पाकिस्तान, बांग्लादेश व् अन्य देशों की चोखट पर खड़े होते| अत: अनीष कपूर जी आप इस दोहरी विकृत मानसिकता से बाहर आकर भारत का सर्वधर्म प्रेम और भाईचारा देखना और फिर  “आई एस आई एस” पर लेख लिखकर इस्लाम पर टिप्पणी करना शायद फिर आपको धार्मिक आतंकियों का पता चल जाये !

राजीव चौधरी


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