Tuesday 29 December 2015

संत की उपाधि के मायने क्या है?

मदर टेरेसा को अगले साल रोमन केथोलिक चर्च की संत की उपाधि से नवाज़ा जायेगा वेटिकन और मिशनरीज़ आफ चेरिटी ने पॉप फ्रांसिस द्वारा मदर टेरेसा के दुसरे चमत्कार को मान्यता देने के लिए शुकवार को इसका घोषणा की| 21 सदी में भी अंधविश्वास में डूबे इसाई समुदाय के अनुसार पहला चमत्कार कई साल पहले कोलकाता में और दूसरा चमत्कार ब्राजील में एक रोगी के ठीक होने से जुड़ा है| पिछले कुछ वर्षो में अंधविश्वास पर बारीकी से अध्यन करने के बाद एक बात सामने आई है कि कोई भी मजहब या समप्रदाय हो इस प्रकार की हरकते होती रही है और आगे भी होती रहेगी जब तक कि आम जनता अपने कर्मो पर विस्वास करने की बजाय बाबाओ, संतो माताओं, देवियों आदि के चक्कर में पड़ी रहेगी|
“हो सकता है मदर टेरेसा की सेवा अच्छी रही होगी परन्तु इसमें एक उद्देश्य हुआ करता था कि जिसकी सेवा की जा रही है उसका इसाई धर्म में धर्मांतरण किया जाये|” सवाल सिर्फ धर्मांतरण का नहीं है लेकिन अगर यह (धर्मांतरण) सेवा के नाम पर किया जाता है तो सेवा का मूल्य खत्म हो जाता है| जहाँ सेवा का मूल्य चुकाना पड़ता हो वहां धर्म नहीं व्यापार होता है और ऐसा करने वाले को संत नहीं व्यापारी कहा जा सकता है? जिसका जिन्दा उदहारण सुसान शील्ड्स के अनुसार जो मदर टेरेसा के साथ नौ साल तक काम किया सुसान टेरेसा की चेरिटी में आये दान का हिसाब-किताब रखती थी| जो लाखो रुपया दीन-हीनों की सेवा में लगाया जाना था वह न्यूयार्क के बेंक खातों में पड़ा था| यदि कोई गरीब दर्द से कराहता तो मदर टेरेसा उसे दवाई देने की बजाय अंधविश्वास के घुट पिलाती थी वह रोगी को कहती जीसस को याद करो वो तुम्हारे चुम्बन ले रहा है आदि आदि
मदर टेरेसा ऐसा क्यों चाहती थी इसका जबाब 1989 में मदर टेरेसा ने खुद टाइम मैगज़ीन को दिए एक इंटरव्यू में दिया था|
प्रश्न- भगवान् ने आपको सबसे बड़ा तोहफा क्या दिया है?
मदर टेरेसा- गरीब लोग
प्रश्न –भारत में आपकी सबसे बड़ी उम्मीद क्या है ?
मदर टेरेसा – सब तक जीसस को पहुंचाना
क्या यही वजह है कि गरीब लोग जल्दी भय, चमत्कार और धन की लालसा में अपनी मूल परम्पराओं अपने धर्म से विमुख हो जाते है उनकी जीवनी लिखने वाले नवीन चावला खुद स्वीकार करते है कि मदर टेरेसा ने खुद कहा था कि मै कोई समाज सेविका नहीं हूँ मेरा काम जीसस की बातों को लोगों तक पहुँचाना हैं|
मदर टेरेसा की इसाई धर्म में आस्था बेहद गहरी थी जीसस के प्रति उनका समर्पण उन्हें कोलकाता खींच लाया था कालीघाट इलाके से शुरू हुआ धर्मपरिवर्तन ये खेल मदर टेरेसा के लिए बेशुमार शोहरत और धन लेकर आया गरीब लोगों से उनका यह झूठा प्रेम अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रकार क्रिस्टोफर हिचेन्स ने मदर टेरेसा के सभी क्रियाकलापों पर विस्तार से रोशनी डालते हुए एक किताब हेल्स एंजेल्स (नर्क की परी) इसमें उन्होंने कहा है कि कैथोलिक समुदाय विश्व का सबसे ताकतवर समुदाय है, जिन्हें पॉप नियंत्रित करते है| चैरिटी चलाना,धर्म परिवर्तन आदि इनका मुख्य काम है टेरेसा की मौत के बाद पॉप जॉन पॉल को उन्हें संत घोषित करने की बेहद जल्दबाजी हो गयी थी हो सकता है इसका मुख्य कारण भारत में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण किया जाना रहा हो?
बहरहाल इस मामले पर प्रश्न इतना है कि यह इसाई समुदाय का अपना व्यक्तिगत मामला ना होकर धार्मिक व्यस्था पर प्रश्न चिन्ह बन जाता कि क्या दो संयोग हो जाने पर किसी को संत घोषित किया जा सकता है? मनुष्य ईश्वर की बनाई व्यस्था को संचालित कर उसके वजूद को टक्कर दे सकता है? यदि मदर टेरेसा को याद करने से दो रोगी ठीक हो सकते है तो समूचे विश्व में अस्पतालों की जरूरत क्या है? हर जगह टेरेसा का फोटो टांग दो मरीज ठीक हो जाया करेंगे| या फिर भारत में और अंधविश्वास को बढ़ावा देने की योजना है?  वैसे देखा जाये तो पिछले कुछ सालों में भारत के अन्दर भी कोई दो ढाई करोड़ लोग संत शब्द का इस्तेमाल करने लगे है पर सही मायने में यह संत शब्द का अपमान है| क्योंकि आजीवका या शोषण चाहें धार्मिक हो, आर्थिक हो, या मानसिक हो करने वाला संत नहीं हो सकता! हमारी वेटिकन सिटी से अपील है अब धर्म और अपनी मान्यताओं के नाम पर और अधिक अन्धविश्वास को ना बढ़ाये


rajeev choudhary 

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