9 दिसम्बर कर्नाटक में टीवी के
माध्यम से एस्ट्रोलॉजी (ज्योतिश शास्त्र) की जानकारी करने वाले जल्द ही इससे महरूम
हो सकते हैं। राज्य की कांग्रेस सरकार एस्ट्रोलोजी पर आधारित टीवी षो पर जल्द ही
रोक लगाने का विचार बना रही है। सूत्रों के अनुसार सरकार का मानना है कि इन टीवी शो को देखकर लोगों में अन्धविश्वास
की भावना बढ़ती जा रही है। बेंगलुरू में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया
ने कहा कि हर टीवी चैनल एस्ट्रोलोजी आधारित षो प्रसारित कर रहा है। हर कोई
एस्ट्रोलोजी शो देखकर अपनी दिनचर्या को आगे बढ़ाने में लग गया है, इससे मेरा घर भी अछूता नहीं रह गया है। अब समय आ गया है कि इस पर रोक लगायी
जाए। हालाँकि जानकारों का मानना है ऐसा करना सरकार के लिए कठिन होगा
अब हम इस मामले को यदि
गंभीरतापूर्वक लेकर देखे तो आज लोकतंत्र
के चैथे स्तम्भ मीडिया को समाज में जागरूकता फैलाने, अन्धविश्वास और कुरीतियों का खात्मा करने और साक्षरता का प्रचार प्रसार करने
की भूमिका के रूप में देखा जाता है लेकिन वर्तमान समय में मीडिया अपनी इस भूमिका
का कितना निर्वहन कर रहा है ये हम सब जानते हैं।
कोई भी टीवी चैनल चला
लें डरावना सा रूप धारण किये हुए बाबा दर्षकों को शनि , राहु, केतु, गृह दोष, मंगल दोष और ना जाने कैसे –कैसे दोषों से डराते हुए और लाकेट,
धन लक्ष्मी वर्षा यन्त्र, लक्ष्मी कुबेर यन्त्र, इच्छापूर्ति कछुआ, लाल किताब. गणपति पेंडेंट, नजर रक्षा कवच आदि की दूकान लगाकर बैठे मिल जायेंगे जो कोडियों के दाम की चीजों को महंगे दामों पर बेच कर अपनी
जेबें भर रहें हैं। इसके अलावा फोन और एस एम एस के जरिये समस्याओं का समाधान बताने
के बहाने मोटी-मोटी कॉल दरें चार्ज की जा रही है।
आज हर आम आदमी किसी ना
किसी समस्या से जूझ रहा है। बस इसी बात का फायदा उठाकर अन्धविश्वास की अपनी दूकान
चलाने के लिए मीडिया का सहारा लिया जा रहा है क्योंकि मीडिया ही एक ऐसा माध्यम है
जिसके जरिये कोई भी बात सीधे-सीधे लाखों करोड़ों
लोगों तक पहुंचाई जा सकती है और मीडिया के जरिये किसी भी बात को दिमाग में
अच्छे से बैठाया भी जा सकता है।
पत्र-पत्रिकाएं भी ऐसे
विज्ञापनों को धड़ल्ले से छाप रही है। मुझे समझ नहीं आता कि प्यार में असफल
व्यक्ति को कोई ज्योतिष या तांत्रिक उसका प्यार कैसे दिला सकता है “निसंतान दंपत्ति को अगर ऐसे बाबा या तांत्रिक के उपाय अपनाने पर ही संतान मिल
जाती है तो फिर मेडिकल की पढ़ाई की क्या जरुरत है|” अगर कोई यन्त्र खरीदकर कोई रातों
रात अमीर बन सकता है तो फिर सुबह से रात तक आफिस में सर खपाने की क्या जरुरत है ?
कुल मिलाकर दुखी, हारे हुए और परेशान लोगों को ठगने का एक बड़ा जाल फैलाया जा चुका है जिसकी
चपैट में फँस कर कई लोग अपनी जेबे खाली करवा रहें हैं। जिसका एक बड़ा हिस्सा मीडिया
की जेब में भी जाता है अन्धविश्वास के अधिकांश मामलों में हमने देखा है कि साक्षर
और निरक्षर दोनों तबके के लोग आसानी से शिकार हो जाते है व्यापार जहाँ तनिक धीमा
हुआ एकदम से लोग किसी बाबा की सलाह के लिए उकसाते है | 21 सदी में भी भारतीय लोग
चमत्कार की आस में जीकर प्रत्यन न कर यन्त्र आदि के जाल में उलझे होते है जबकि सब
जानते है और इन सब का मोखिक रूप से विरोध भी करते है किन्तु अंतर्मन में कहीं न
कहीं किसी चमत्कार की आस में जीते है और इसी का फायदा उठाते हुए आज इन यंत्र
कारोबारियों ने कई करोड़ व्यापार कर लिया है अब फैसला आप लोगों को करना है कि आज
यूरोपीय देश हमसे इतना आगे क्यों है ?
दिल्ली आर्य प्रतिनिधि
सभा
राजीव चौधरी
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