Wednesday 4 May 2016

कोख के बाहर भी खतरे कम नहीं है!

कन्या भूर्ण हत्या को रोकने में सरकार ने अपना काम जिम्मेदारी के साथ निभाया| बेटी बचाओं, बेटी पढाओं आदि नारे देकर समाज को जागरूक करने का प्रयास भी किया जो काफी हद तक सफल होता भी दिख रहा है। चलो अच्छा है अब बेटी माँ की कोख में नहीं मारी जाएगी किन्तु जो बेटी पैदा होकर आज परिवार के सपने लिए जवानी की देहलीज पर खडी है उसे कौन बचाएगा? आप, हम या सरकार? यह कोई ताना नहीं है बस एक प्रश्न है उस समाज से जिसके सामने आज आधुनिकता के नाम पर  मेट्रो शहरो की अधिकांश बेटियां नशे में डूब चुकी है| कई रोज पहले लखनऊ में वोदका तथा बीयर के नशे में धुत सैकड़ों लड़कियों ने एक नारी के संस्कार और लज्जा को शर्मसार कर दिया। शनिवार को लखनऊ के बक्शी का तालाब क्षेत्र में एक पूल पार्टी में छापा पड़ा, जहां लड़कियां भयंकर नशे में धुत मिलीं। आजकल महिलाओं में नशे की लत बढकर नौजवानों के बीच रेव पार्टियों का चलन बढ़ रहा है। अब लोग इसे स्टेटस सिंबल के तौर पर भी देखते हैं। लडकियों का दोस्तों के साथ नाइटआउट करना, ऐसी पार्टियों में जाना और देर रात बिना किसी बंदिश  के नशे की दुनिया में गुम हो जाना, एक आम जीवनशैली समझा जाने लगा है। दोस्तों के साथ स्मोकिंग और ड्रिंक से शुरू होने वाला ये सिलसिला धीरे-धीरे ड्रग्स की लत तक पहुंच जाता है। शुरू में मोज मस्ती के लिए किया गया यह नशा इतना घातक हो जाता है कि बाद में कई बार आर्थिक परिस्थिति से उबरने के लिए लडकियों को जिस्म तक की सौदेबाजी करने को मजबूर कर देता है| आधुनिक होने के नाम पर कई बार परिवार की आँखों के सामने ही बच्चों का जीवन नरक हो जाता है।

आई बी एन न्यूज़ के अनुसार अभी हाल ही में मुंम्बई की सड़कों पर 25  साल की एक अभिनेत्री को भीख मांगते हुए देखा। इतना ही नहीं उसे चोरी करते हुए भी पकड़ा। ये मशहूर ऐक्ट्रेस मिताली शर्मा थी। जो मुम्बई में अपना महत्वकांक्षी जीवन जीने आई थी शायद नशे की लत ने अब इसे भिखारी और चोर बना डाला। एक हाथ में सिगरेट और दुसरे में शराब लिए पार्टियों में युवाओं को देखा जाना अब आम हो चला है। लड़के तो लड़के अब तो लड़कियां भी सिगरेट, शराब पीने में पीछे नहीं हैं। आज के युवाओं की पार्टी बिना नशे के अधूरी समझी जाती है। बडे शहरो की तर्ज पर अब यह कल्चर देश के छोटे शहरों में भी पैर पसारने लगा है। बात सिर्फ सिगरेट, शराब तक ही सीमित नहीं रह गई है, गांजा, चरस, अफीम, भांग और ड्रग्स तक भी पहुंच चुकी हैं। मजे के लिए किया गया यह शौक कब उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाता है और कब वे इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं उन्हें पता भी नहीं चलता। कल की चिंता छोड़ अपने आज को सिगरेट के धुंए के छल्ले उड़ाती युवा पीढी को सिर्फ नाम से जाना जाता है काम से नहीं।

पूजा ने अपना करियर तबाह कर लिया, आरती शादी के बाद बेहद मुश्किलों में घिरी है, राधिका की पढाई चैपट हो गयी, सपना  ने हताषा के अँधेरे में आत्महत्या कर ली| यह दिल्ली जैसे बडे शहरों की बेटियां है जिनके किस्से रोज अखबारों से लेकर मोहल्लों में चाय की दुकानों पर चर्चा का विषय बनते है। बडे शहरों की दूसरी तमाम लड़कियों की तरह ये भी कुछ बनना चाहती थीं, कुछ कर दिखाना चाहती थीं, लेकिन इन सब के लिए जब इनसे सबसे ज्यादा मेहनत, लगन और समर्पण की दरकार थी तब ये एक दूसरी ही दुनिया में खो गयी। वो दुनिया जहां घनघोर अंधेरा चकाचोंध और रंगीनियों का अहसास कराता है, जहां घुट-घुट कर मरना भी खुले आकाश  में उड़ने सा मजा देता है। छलावे से भरे इस मायालोक से जब ये निकलीं तो सामने थी दर्द, पश्चाताप और अकेलेपन से भरी जिंदगी। लेकिन ये कहानी सिर्फ इन चंद लड़कियों की नहीं है बल्कि देश में बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं नशे की गिरफ्त में फंसकर अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बर्बाद कर रही हैं।शुरुआत आमतौर पर सिगरेट के एक कश से होती है लेकिन अंजाम ड्रग्स की लत के रूप में सामने आता है। जबकि यही उम्र होती है जब लोग यह तय करते हैं कि उन्हें जीवन में क्या करना है और आगे चलकर क्या बनना है लेकिन कई बार खुद ही ही अपना जीवन बर्बाद कर लेते है|

 जहाँ आज स्त्री पुरुष को साथ मिलकर कंधे से कंधे मिलाकर आधुनिक संसाधनों से देश धर्म संस्कृति को उन्नत बनाना के काम करना था वहीं अधिकांश युवा इस नशे की भट्टी में जलता दिखाई दे रहा है| यदि आज हालात नहीं सुधरे तो आगे चलकर देश विकसित हो ना हो किन्तु नशे का अड्डा जरुर बन जायेगा| यदि लड़की का कब्रगाह माँ की कोख माना जाता है तो कोख के बाहर भी खतरे कम नहीं है| सोचना सबको है आने वाली पीढ़ी को इस नरक से कौन बचाएगा? प्रस्तुति - राजीव चौधरी 

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