Tuesday 7 June 2016

मथुरा हिंसा का सूत्र संचालक कौन?

कितनी अजीब बात है की शाकाहार की बात करने वाला गिरोह स्वयं हिंसा मे शामिल होकर अपने ही मासूम व्यक्तियो की ही हत्या करवा देता है!  26 माह से तक़रीबन 285 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा जमाये हुए एक धूर्त व्यक्ति हथियार इकठ्ठे करता रहा, लोंगो को प्रशिक्षित करता रहा और प्रशासन मूक बना देखता रहा| प्रशासन जागा भी तो न्यायालय ने आदेश दिया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी| मथुरा के जवाहर बाग़ पर पिछले क़रीब तीन साल से कथित तौर पर धरना दे रहे लोग गुरुवार को उस समय हिंसक हो गए जब प्रशासन ने उन्हें बाग़ से अवैध कब्ज़ा हटाने का नोटिस दिया| बताया जा रहा है कि इन लोगों को 24 घंटे में बाग़ को खाली करने का निर्देश दिया गया था लेकिन धरना कर रहे इन लोगों ने इसके बाद भी बाग़ को ख़ाली नहीं किया. प्रशासन ने गुरुवार को जब भारी पुलिसबल के साथ जवाहर बाग़ की ओर कूच किया तो उनपर फायरिंग की गई और हिंसा में दो पुलिस के अफसरों समेत 24 लोगों की मौतो हो गई है क़रीब 40 लोग घायल हैं| अब प्रशासन खामोश और लोगों के घर मातम है|
कौन है इस हिंसा का सूत्र संचालक, कैसे पनपते है ये लोग समाज में? कैसे एक आदमी मूर्खतापूर्ण, माँगों के लिये लोगों को इकठ्ठा कर लेता है, आखिर लोग कैसे इनके झाँसे में आ जाते है और निर्दोष लोगों की हत्या कर मासूम बच्चों को अनाथ बना जाते है| मथुरा हिंसा के बाद ये प्रश्न जरुर वो परिवार पूछ रहे होंगे जिन्होंने इस हिंसा में अपनों को खोया है| यदि निजी समाचार पत्रों की राय माने तो 23 जनवरी 1975 को नेताजी सुभाष कानपूर शहर में कई दिनों से पर्चियां बंट रही थी जिनमे कहा गया था कि इस दिन नेताजी लौटकर वापिस आ जायेंगे| शहर के फूलबाग में खचाखच भीड़ जमा थी| कई घंटो के इंतजार के बाद एक सफ़ेद दाढ़ी वाला इन्सान मंच पर आया| उसी भीड़ के बीच से अचानक कुछ लोगों ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नारे लगाने शुरू कर दिये किन्तु कुछ देर बाद उपस्थित भीड़ ने मामले को समझा और उक्त व्यक्ति जो खुद को नेताजी बता रहा था पर हमला कर दिया किन्तु उसे वहां से पुलिस ने बचा लिया| खुद को नेताजी का अवतार बताने वाला शख्स बाद में आध्यात्मिक गुरु बाबा जयगुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध हो गया| मथुरा के जवाहरबाग में कब्ज़ा जमाये बैठा 24 हत्याओं का जिम्मेदार रामवृक्ष यादव और उसकी हत्यारी फौज इसी गुरुदेव के अनुयायी बताये जा रहे है| गुरुदेव के अनुयायी खुद को अलग पंथ धर्म “जय गुरुदेव” पंथ को मानने वाले बताये जाते है|
1980 के दशक में गुरुदेव ने सामाजिक सुधार के नाम पर अपनी राजनैतिक पार्टी का गठन किया था| 1989 के लोकसभा चुनाव में तक़रीबन 12 राज्यों की 298 सीटों पर चुनाव के लिए प्रत्याशी उतारे हालाँकि इनके हिस्से किसी भी सीट पर जीत नहीं आई दो दशकों में पार्टी अपना कोई राजनैतिक आधार तो नहीं बना पाई लेकिन पैसा खूब बनाया 18 मई 2012 को खुद को नेताजी का अवतार बताने वाले जयगुरुदेव मौत हुई तो इनकी सम्पत्ति 4 हजार करोड़ बताई गयी थी| बाबा जय गुरुदेव की मृत्यु के बाद मथुरा इटावा की संपत्ति पंकज यादव बे कब्ज़ा ली तो तिवारी ने कानपुर और मध्य प्रदेश की ईधर रामरक्ष यादव जो की जय गुरुदेव का खासम ख़ास चेला था जय गुरुदेव की मौत के बाद रामवृक्ष यादव के नेत्त्रत्व में 2014 से ख़ुद को सत्याग्रही बताने वाले इन लोगों ने बाग़ पर कब्ज़ा जमा रखा था|
पहले यहां कुछ ही लोग सत्याग्रह कर रहे थे लेकिन अब इनकी तादाद तीन हज़ार से भी ज़्यादा हो गई थी इनमें अधिकतर लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश से आए हुए थे| पहले ये लोग बाबा जयगुरुदेव के अनुयायी थे लेकिन बाद में इन्होंने कथित तौर पर सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित होकर आज़ाद भारत विधिक संघ नाम का संगठन बना लिया| मतलब की आजाद भारत में आजादी की मांग कर रहे थे| इन तथाकथित धरना देनेवालों की मांगे भी अजीबोग़रीब हैं विद्यार्थी के मुताबिक़ ये लोग देश के संविधान, संसद, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तक को संवैधानिक नहीं मानते हैं इन लोगों की मांग थी कि सुभाष चंद्र बोस के समय पेट्रोल, डीज़ल और दूसरी वस्तुओं की जो क़ीमतें थीं, उसे ही आज लागू किया जाए इनकी मांग थी कि भारतीय रुपए की जगह आज़ाद हिन्द फ़ौज के समय की मुद्रा चलाई जाए पिछले क़रीब तीन साल में इन लोगों ने कई बार पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर हमले किए हैं. स्थानीय लोगों के साथ भी इनका कई बार संघर्ष हो चुका है देश में ये सब तमाशा इस वजह से चलता रहता है क्योंकि प्रशासन सोता रहता है और लोग अपना काम करते रहते है, ऐसे लोगों को सख्त सजा देनी चाहिये, जो सत्याग्रह के नाम पर मारकाट मचा रहे थे, देश में कानून का राज होना आवश्यक है, ऐसे मामलो में जाति और धर्म से ऊपर उठकर कार्यवाही होनी चाहिये, दो पुलिस अफसरों की शहीदी जाया नहीं होनी चाहिये| लोगों को भी सोचना चाहिए आखिर इतनी जल्दी क्या होती है कि किसी भी भगवान बना देते है| धर्म के सहायक बनिये सहयोगी बनिये किन्तु इन बाबाओं के अंधभक्त मत बनिये|......Rajeev choudhary 

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