Monday 1 August 2016

बिना हिन्दुओ के कश्मीर वार्ता कैसी ?

जब से स्रष्टि का निर्माण हुआ न जाने दुनिया में कितनी बार सत्ता बदली लेकिन 15 अगस्त १९४७ को जब सत्ता बदली तो सत्ता के साथ जनता भी बदली हिन्दू इधर आ जाओ मुस्लिम उधर चले जाओ लेकिन कश्मीर का मुद्दा ज्यों का त्यों बना रहा और जब से भारत पाक वार्ता में जब भी बैठक होती है तब कश्मीर का मुद्दा उठता है l लेकिन भारत ने कभी भी उन कश्मीरी हिन्दुओं का मुद्दा नहीं उठाया , जिन्हें सब से पहले कश्मीर की घाटी से बाहर निकाला  गया l जबकि पाक अधिकृत कश्मीर पर इन परिवारों का मौलिक अधिकार है और इन्हें वहां पुन: बसाने का मुद्दा तो वार्ता में उठाना चाहिए जब पाक वहां रह रहे कश्मीरी मुसलमानों के हक की बात करता है l
पाक आधिकृत कश्मीर से जिन हजारों परिवारों को वहां से भगाया गया वह 22 अक्टूबर 47 की सुबह थी , कश्मीर में मुज्जफराबाद - उड़ी मार्ग के चिनारी गॉव में 20 -25 हिन्दू परिवारों में नवरात्रों की अष्टमी मनाई जा रही थी , अतः घर घर में कन्याओं  का पूजन हो रहा था कि अचानक शोर उठा भागो , हमला हो गया है , साथ में गोलियों की आवाजे भी आ रही थी , मेरी आयु उस समय दो वर्ष से कम थी , भाग कर जितने लोग एक ट्रक में आ गए , ट्रक 5 या 7 कि मी चलने के बाद  रुक गया , एक ओर दरिया बह रहा था और दूसरी ओर से गोलीबारी की आवाजे और आग के शोले आसमान को छू रहे थे , मेरे माता -पिता ने देखा एक सिख अपनी 3 वर्ष की बेटी को दरिया में डालने का प्रयास कर रहा है , पिताजी ने रोका तो उसने बताया कि उसकी पत्नी को वे लोग ले गए है और उसे डर कि कहीं उसकी बेटी भी उनके हाथ न आ जाये l हमारा परिवार जब श्री नगर पहुंचा तो पता चला हमला श्री नगर पर भी हो चुका है l घरों में आग लगायी जा रही थी , भयंकर मारकाट मची थी l उसी मारकाट से बचाने के लिए भारत सरकार ने आर्मी को वायुयान से श्री नगर भेजा और जो हिन्दू परिवार एयर पोर्ट पर सकुशल आ गए , उन्हें उन्ही हवाई जहाजों से दिल्ली और शेष भारत में भेजा गया और इस भांति एक एक कर के कश्मीर से हिन्दुओं को भगा कर घाटी को हिन्दुओं से शून्य कर दिया गया 
यह कहानी किसी एक आदमी की जुबानी नही हर कोई जानता है कश्मीर में हिन्दुओं के साथ क्या हुआ पर सत्ता हमेशा धृतराष्ट्र बनकर हिन्दुओं के अपमान और कत्ल का नंगा बीभत्स कांड देखती रही 4 जनवरी 1990 आफताब, एक स्थानीय उर्दू अखबार ने हिज्ब उल मुजाहिदीन की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, सभी हिन्दू अपना सामान पैक करे और कश्मीर छोड़ कर चले जाये। एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र, अल सफा, ने  इस निष्कासन आदेश को दोहराया। मस्जिदों में भारत और हिन्दू विरोधी भाषण दिए जाने लगे। सभी कश्मीरी हिन्दू को कहा गया की इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाये।
सिनेमा और विडियो बंद कर दिए गए। लोगो को मजबूर किया गया की वो अपनी घडी पाकिस्तान के समय के अनुसार करे ले। सारे कश्मीर के मस्जिदों में एक टेप चलाया गया। जिसमे मुस्लिमो को कहा गया की वो हिन्दुओ को कश्मीर से निकाल बाहर करे। उसके बाद सारे कश्मीरी मुस्लिम सडको पर उतर आये। उन्होंने कश्मीरी पंडितो के घरो को जला दिया, कश्मीरी पंडित महिलाओ का बलात्कार करके, फिर उनकी हत्या करके उनके नग्न शरीर को पेड़ पर लटका दिया गया। कुछ महिलाओ को जिन्दा डाला दिया गया और बाकियों को लोहे के गरम सलाखों से मार दिया गया। बच्चो को स्टील के तार से गला घोटकर मार दिया गया। कश्मीरी महिलाये ऊँचे मकानों की छतो से कूद-कूद कर जान देने लगी। कश्मीरी मुस्लिम, कश्मीरी हिन्दुओ के हत्या करते चले गए जम्मू में बिस्थापित जीवन जी रहे रामजीलाल के अनुसार 1990 में कई हिन्दू नेताओं की हत्या के बाद 300 से ज्यादा हिन्दू महिलाओ और पुरुषो की न्रशंस हत्या की गयी। कश्मीरी पंडित नर्स जो श्रीनगर के सौर मेडिकल कालेज अस्पताल में काम करती थी, का सामूहिक बलात्कार किया गया और मार मार कर उसकी हत्या कर दी गयी। यह खुनी खेल चलता रहा और अपने सेकुलर राज्य और केंद्र सरकार, मीडिया ने कुछ भी नहीं किया। 3.50000 कश्मीरी पंडित अपनी जान बचा कर कश्मीर से भाग गए। कश्मीरी पंडित जो कश्मीर के मूल निवासी है उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा और यह सब कुछ चलता रहा लेकिन सेकुलर मीडिया चुप रही उन्होंने देश के लोगो तक यह बात कभी नहीं पहुचाई इसलिए देश के लोगो को आज तक नहीं पता चल पाया की क्या हुआ था कश्मीर में। देश विदेश के लेखक चुप रहे, भारत का संसद चुप रहा, देश के सारे हिन्दू, मुस्लिम, सेकुलर चुप रहे। किसी ने भी 3.50000 कश्मीरी पंडितो के बारे में कुछ नहीं कहा। आज भी अपने देश के मीडिया 2002 के दंगो के रिपोर्टिंग में व्यस्त है।

वो कहते है की गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगे हुए थे लेकिन यह कभी नहीं बताते की 750 मुस्लिमो के साथ साथ 750 हिन्दू भी मरे थे और यह भी कभी नहीं बताते की दंगो की शुरुआत मुस्लिमो ने की थी, जब उन्होंने 59 हिन्दुओ को ट्रेन में गोधरा में जिन्दा जला दिया था। हिन्दुओ पर अत्याचार के बात की रिपोर्टिंग से कहते है की अशांति फैलेगी, लेकिन मुस्लिमो पर हुए अत्याचार की रिपोर्टिंग से अशांति नहीं फैलती। कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा था कश्मीर के मूल निवासी सारे हिन्दू थे। कश्मीरी पंडितो की संस्कृति 5000  साल पुरानी  है और अब बात की जा रही है कश्मीरियों के हक की | यह कौन से कश्मीरी है ? वो जिन्होंने कश्मीर में हिन्दुओं को मारा जलाया भगाया आज किन के हक की बात होती है भारत सरकार को स्पस्ट रूप से (यु एन ओ) और पाकिस्तान  को कह देना चाहियें कि कश्मीर पर बात बिना कश्मीरी हिन्दुओं के नही होगी जो कश्मीर के असली वारिस है..प्रस्तुत आंकड़े कश्मीर जीत में हार पुस्तक से चित्र गूगल से साभार 

Rajeev choudhary



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