Monday 8 August 2016

यूरोप में धार्मिक दहशत का माहौल!

ऑस्ट्रिया के लोगों में शॉटगन ख़रीदने को होड़ सी मच गयी है| अमरीका के राज्य टेक्सास में कट्टरपंथियों के एक गुट ने मुसलमानों के विरुद्ध हथियार लेकर रैली निकाली। तीसरा पाकिस्तानी मूल के एक अमेरिकी दंपति नाजिया और फैसल अली को अमेरिका में विमान से उतार दिया गया क्योंकि उनके ‘‘अल्लाह’’ कहने और फोन पर एसएमएस करने से विमान में सवार क्रू की एक सदस्य ‘‘असहज’’ महसूस कर रही थी| इसके बाद  BBC की रिपोर्ट और गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक के अनुसार इस्लाम दुनिया का सर्वाधिक तेजी से बढता हुआ धर्म है चाहें यह बढ़ोतरी धर्मान्तरण के वजह से हो या जनसंख्या वृद्धि से! उपरोक्त सारी खबरे कहीं ना कहीं आपस में जुडी सी दिखाई दे रही है| जुडी क्यों है? अमेरिकी और यूरोपीय देशों में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा एक के बाद एक ताबड़तोड़ हमले और ऐसे समय पर बीबीसी की रिपोर्ट आना कहीं न कहीं इस समाज के अन्दर भय सा पैदा करती दिखाई दे रही है| 
पिछले कई सालों से यूरोपीय देशों में आम जनजीवन पर लगातार आतंकी हमले हो ही रहे थे| कि अचानक फ्रांस के चर्च में हुए एक हमले में पादरी की गला रेत कर हत्या ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी। इसमें हैरानी की बात यह है कि ये हत्या स्कूल जाने वाले दो लड़कों ने की है। जिनमें एक बार फिर चौंकाने वाली बात यही सामने आई हैं कि चर्च में पादरी का गला रेतने के बाद ये हत्यारे अल्लाहु-अकबर चिल्लाते हुए भाग रहे थे| इस घटना को यूरोप को सीधे इसाई समुदाय की धार्मिक भावना पर भी हमला कहा जा सकता है| हमेशा इस्लाम के जानकर और मानने वाले आरोप जड़ते हुए कहते है कि हर एक हमले के बाद बिना वजह इस्लाम को बदनाम किया जा रहा है| इस आरोप को लगाते हुए वो लोग जितना आतंकियों को कोसते है उससे दुगना आवेग से आतंकी हमले में इस्लाम का नाम लेकर प्रश्नचिन्ह लगाने वालों को लेकर मुखर हो जाते है|


यदि कुछ घटना प्रतिउत्तर सैनिक कार्रवाही से अलग छोड़ दे तो हर एक आतंकी हमले का जबाब पूरा विश्व समुदाय कलम और सोशल मीडिया द्वारा निंदा से देता है| अभी हाल ही अमेरिकी ब्लागर पामेला जैलर ने जर्मनी में हुए हमले के बाद अपने इस ब्लॉग से सनसनी फैला दी| पामेला का गुस्सा उनके ब्लॉग से सहज ही समझा जा सकता है| वो लिखती है  लोग चाहे या न चाहे पर जर्मनी पर इस्लाम का कब्ज़ा हो जायेगा, और यह कब्ज़ा युद्ध के द्वारा नहीं किया जायेगा बल्कि सच्चाई ये है कि जर्मन लोग बच्चे पैदा नहीं करते और एक मुसलमान के सात से आठ बच्चे होते है । सिर्फ इतना ही नहीं आपकी बेटियां दाढ़ी वाले मुसलमानो से विवाह करेंगी और हिज़ाब भी पहनेगी और उनके बच्चे भी दाढ़िया रखेंगे। मुसलमान चार शादियाँ करेंगे और 27 बच्चे पैदा करेंगे। जर्मन लोगो के पास क्या होगा एक बच्चा और शायद एक पालतू कुत्ता ? जर्मन लोगो ने मुसलमानो का बहुत लम्बे समय तक फायदा उठाया है ताकि वे अपनी मर्सिडीज़ चला सके अब इस्लाम आ रहा है और आपकी बेटियां हिज़ाब पहनेंगी।
आज बहुत सारे यूरोपियन देश अपने सीमाओ पर तार बंदी और सुरक्षा के इंतज़ाम कड़े कर रहे हैं और कुछ लेखक तो जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों को देखते हुए वहां के शरणार्थी और कट्टरता के माहौल के संकट को गृहयुद्ध और तीसरा विश्व युद्ध तक से जोड़ के देख रहे है | एक जुलाई से स्लोवाकिया को यूरोपीय संघ की अध्यक्षता मिलने से पहले ही इस देश के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको ने घोषणा की थी कि हम अपने देश में एक भी मुसलमान को बर्दाश्त नहीं कर सकते। एशिया टाइम्स के अनुसार उसने कहा कि मुसलमानों का यूरोप में आगमन इस क्षेत्र के लिए हानिकारक है तो मुसलमानों के लिए उनके यहां कोई जगह नहीं। इससे पहले भी फिको का कहना था कि स्लोवाकिया एक ईसाई देश है, यहां हजारों लाखों मुसलमानों को नहीं देखना चाहता, हम अपने देश की परंपराओं को बदलना नहीं चाहते। कुछ समय पहले इतावली पत्रकार ओरियाना फलासी ने अपनी पुस्तक तर्क की शक्तिमें घोषणा की थी कि यूरोप इस्लाम का एक प्रान्त और उपनिवेश बनता जा रहा है| पता नहीं प्रसिद्ध इतालवी पत्रकार अपनी जगह पूरी तरह ठीक हैं या नहीं? किन्तु वो लिखते है कि यूरोप की प्राचीन मजबूत ईसाई पकड़ तेजी से ढीली पड़कर इस्लाम के लिये मार्ग प्रशस्त कर रही है| विश्व को हिला देने वाली इस धार्मिक घटना के लिये प्रमुख रूप से दो तत्व उत्तरदायी हैं एक तो ईसाइयत का खोखलापन और दूसरा उत्साहहीन जन्मदर| क्योकि  अपनी परम्परा और मूल्यों के साथ सम्बन्ध क्षीण करता हुआ यूरोप उत्तर ईसाई समाज बनता जा रहा है| पिछली दो पीढ़ियों में आस्थावान और धर्मपालक ईसाइयों की संख्या इतनी तेजी कम हुई है कि पर्यवेक्षकों ने इसे नया अन्ध महाद्वीप कहना आरम्भ कर दिया है| विश्लेषकों का पहले ही अनुमान है कि मस्जिदों में उपासना करने वालों की संख्या प्रत्येक सप्ताह चर्च आफ इंगलैण्ड से अधिक होती है इसमें उन्होंने दूसरा कारण गिनाते हुए लिखा कि उत्साहहीन जन्मदर|
वो लिखते है कि स्वदेशी यूरोपवासी नष्ट हो रहे हैं और विदेशी मुस्लिम समाज की संख्या निरंतर बढ़ रही है| किसी जनसंख्या को कायम रखने के लिये आवश्यक है कि महिलाओं का सन्तान धारण करने का औसत 2.1 हो परन्तु पूरे यूरोपीय संघ में यह दर एक तिहाई 1.5 प्रति महिला है और वह भी गिर रही है इसी रिक्त स्थान में इस्लाम और मुसलमान को प्रवेश मिल रहा है जहाँ ईसाइयत अपनी गति खो रही है वहीं इस्लाम सशक्त, दृढ़ और जनसँख्या बढ़ाने के लिए महत्वाकांक्षी है| जहाँ यूरोपवासी बड़ी आयु मे भी कम बच्चे पैदा करते हैं वहीं मुसलमान युवावस्था में ही बड़ी मात्रा में सन्तानों को जन्म देते हैं| फ़िलहाल यूरोपियन संघ का 5% या लगभग 2 करोड़ लोग मुसलमान हैं यदि यही रूझान जारी रहा तो 2020 तक यह संख्या 10% पहुँच जायेगी| जैसा कि दिखाई पड़ रहा है कि गैर मुसलमान नयी इस्लामी व्यवस्था की ओर प्रवृत्त हुये तो यह महाद्वीप मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र बन जायेगा|
जब ऐसा होगा तो भव्य चर्च पुरानी सभ्यता के अवशेष बनकर रह जायंगे यह भी हो सकता है कि सउदी शैली का प्रशासन उसे मस्जिद में न परिवर्तित कर दे या तालिबान जैसा प्रशासन उसे उड़ा न दे| हो सकता है इटली, फ्रांसीसी, ब्रिटिश और अन्य महान राष्ट्रीय संस्कृतियों का पतन हो जाये और उनका स्थान उत्तरी अफ्रीका, तुर्की, उपमहाद्वीप और अन्य तत्वों के विलयन से बनी पराराष्ट्रीय इस्लामी पहचान ले ले! ये कोई मानव व्यंग नहीं है ना भय खड़ा कर देने वाला भाषण यह सिर्फ विलेषण है या एक कयास जो यूरोप के चिन्तक अपने भविष्य के लिए लगा रहे है| हिंसक संस्कृति हमेशा से उदार संस्कृति का दोहन करती आई है या यह कहो आड़ चाहे धर्म की हो या साम्राज्य के विस्तार की महत्वकांक्षी हर जगह एक संस्कृति दुसरे की संस्कृति के भक्षण को मुहं खोले खड़ी है!!चित्र साभार गूगल लेख राजीव चौधरी 


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