Sunday 30 July 2017

निठारी कांड, आरोपियों पर कोई रहम ना हो.

दिसम्बर 2006 की कड़ाके की सर्दी में पूरे देश के लहू को उबाल देने वाले नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में आरोपी मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा मिली है. स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 20 वर्षीय पिंकी सरकार रेप और मर्डर केस में पंढेर और कोली को दोषी पाते हुए इस कांड में सजा सुनाई है. यह इस कांड का 8वां केस है. जबकि हत्या और रेप के करीब 16 मामले इन लोगों पर दर्ज है.

शायद ही इस घटना को अभी तक कोई नहीं भुला होगा, जब एक के बाद एक नोएडा के निठारी गांव. कोठी नंबर डी-5. से नरकंकाल मिलने शुरू हुएउस समय पूरे देश में सनसनी फैल गई. सीबीआई को जांच के दौरान मानव हड्डियों के हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले थे, जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंक दिया गया था. कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को पुलिस ने धर दबोचा. इस मामले का खुलासा 2006 में तब हुआ जब रिंपा हलधर और पिंकी सरकार के अगवा होने का मामला नोएडा पुलिस ने दर्ज किया. पुलिस ने ढूंढने की बहुत कोशिश की, पर कायमाबी नहीं मिली. 29 दिसंबर 2006 को कोठी के पीछे कुछ नर कंकाल मिलने के बाद मामले का खुलासा हुआ. पुलिस ने जांच तेज की और कोठी के पीछे खुदाई करायी तो रिंकी और रिंपा समेत कुल 15 बच्चों के कंकाल बरामद हुए. उस कोठी में आसपास के इलाकों से 2005 से गायब हो रहे बच्चों की लगातार हत्या की जा रही थी.

पुलिस ने पंढेर व कोली को गिरफ्तार कर लिया. तीन जनवरी 2007 को केंद्र सरकार ने जांच समिति गठित की. चार जनवरी को उत्तरप्रदेश सरकार ने सीबीआइ जांच से इनकार कर दिया. अंत: 10 जनवरी को सीबीआइ जांच शुरू हुई. हालाँकि 2007 में जब इस मामले की जांच पुलिस कर रही थी, तब कोठी मालिक के समाज के कई प्रभावी लोगों से रिश्तों के आरोप लगे थे. उस समय मीडिया में इस तरह की भी खबरें भी आयी थी कि उसके रिश्ते उस समय उत्तरप्रदेश के एक ताकतवर नेता से भी थे. लेकिन पुरे देश के लोगो में गुस्से के सामने इन दोनों नरपिचाशों का एक झूठ ना चला.

आइए, एक बार फिर हम चलते है राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर-31 के पास स्थित उस छोटे से गांव निठारी में, जहां मासूम बच्चों की चीख-पुकार और आंखों में एक खौफनाक दृश्य अभी भी उभरता हुआ दिख जाता है. करोड़पति मोनिंदर सिंह पंधेर की उस खूनी कोठी नंबर डी-5 को भला कौन भूल सकता है. कौन भूल सकता है कि इसी कोठी में इंसान के रूप में मौजूद भेड़ियों ने एक दो नहीं बल्कि 17 बच्चों को अपना शिकार बनाकर इसी कोठी में उन्हें दफन कर दिया था. इस कोठी में रहने वाले नरपिशाचों ने बड़ें ही शातिर ढ़ग से गांव के भोले-भाले मासूम बच्चों को किसी न किसी बहाने अपने पास बुलाते थे. इसके बाद उनके साथ हैवानियत की हदें पार कर उनकी हत्या करने के बाद लाश के टुकड़े-टुकड़े कर नाले में बहा देते हैं.

दरिंदगी की हद यहाँ भी रुक जाती तो गनीमत थी किन्तु सुरेन्द्र कोली तो हेवानियत के उस मोड़ तक जाता जहाँ दरिन्दे भी शर्म की वजह से गर्दन झुका ले. मासूम बच्चों को अपनी कोठी में ले जाकर उसके साथ कुकर्म उसके बाद उनका गला घोंटकर हत्या. इतने से भी मन नहीं भरा तो उसके शव के छोटे-छोटे टुकड़े कर कुछ पकाकर खाए तो कुछ हिस्से को कोठी के पीछे नाले में बहा दिए. यह खौफनाक सिलसिला करीब डेढ़ साल से ज्यादा समय तक चला. लेकिन किसी की नजर इस अमीरजादे दरिन्दे पंधेर की कोठी पर नहीं पड़ी. हां, इतना जरूर हुआ कि कोठी के पास स्थित पानी की एक टंकी के आसपास से बच्चों को गायब होने का शक जरूर हुआ लेकिन इसे अन्धविश्वास का जामा पहना दिया गया और गांव वालों ने तो यहां तक मान लिया कि जरूर पानी टंकी के पास कोई भूत रहता है जो बच्चों को निगल जाता है.

लेकिन पिंकी सरकार के लापता होने की जांच के दौरान जब यह पता चला कि उसकी हत्या कोली ने की है तो पुलिस ने मामले को गहराई से जांचना शुरू किया. 

फिर क्या था...एक के बाद मामले खुलते गए और जांच दल को बड़े पैमाने पर बच्चों की नृशंस हत्याओं के बारे में पता चलता गया. उस समय कोली को सिलसिलेवार हत्यारा करार देते हुए अदालत ने कहा था कि उसके प्रति कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए. 24 दिसंबर 2012 को सीबीआई विशेष न्यायाधीश एस. लाल ने आरोपी सुरेंद्र कोली को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. फैसले में न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि अभियुक्त के मन में हमेशा यही भावना बनी रहती है कि किसको मारूं, काटूं व खाऊं. अभियुक्त इन परिस्थितियों में समाज के लिए खतरा बन चुका है. उसके सुधार और पुनर्वास की संभावनाएं भी नहीं हैं. मृतका की आत्मा को तभी शांति मिल सकती है, जब अभियुक्त को मृत्यु दंड से ही दंडित किया जाए. इस कांड में नर पिशाच के नाम से कुख्यात सुरेंद्र कोली को 7वीं बार मौत की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने इस केस को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मानते हुए दोनों दोषियों को मरते दम तक फांसी पर लटकाने का आदेश दिया है.
लेखक राजीव चौधरी 

Thursday 27 July 2017

धर्म के नाम पर मनोरंजन....धर्म का उपहास?

निरन्तर बढ़ते जा रही कावड़ यात्रा और उसके परिणाम या उसके महत्व पर समाज को कभी चिन्तन भी करना चाहिए। बिना सोचे समझे किसी भी कार्य को करना उसके परिणाम की चिन्ता न करना उससे होने वाली हिंसा की चिन्ता न करना ऐसे कार्यों को योगीराज भगवान श्रीकृष्ण ने तामसी कर्म कहा है। गीता में उल्लेख करते हुए दर्शाया गया है-
अनुबन्ध ज्ञयं हिंसा मनवेक्ष्य च पौरुषम। मोहादारभ्यते कर्मः यत् तत् तामसू मुच्यते।।
ईश्वर न मनुष्य को एक विशेष शक्ति प्रदान की है और वह है विशिष्ट ज्ञान। सामान्य ज्ञान खाना, पीना, सोना, सन्तानोत्पत्ति आदि तो प्रत्येक पशु पक्षी व प्राणी मात्र के पास जन्म से उन्हें प्राप्त है परन्तु जीवन का विकास, दोनें लोकें की प्राप्ति संयमित व ज्ञान युक्त जीवन जीना तो केवत्रल मानव को ही प्राप्त है। इसीलिए इसे संसार की समस्त योनियों में सर्वोत्तम यो का स्थान मिला है।

चक्षुओं में प्रायः उचित अनुचित का तथा अपनी जाति के समूह से अलग सोचकर कुछकरने की क्षमता नहीं होती। कुछ भेड़ें आगे किसी मार्ग पर चल दें तो उसके पीछे हजारों की संख्या में अन्य भेड़ें चल देती हैं। किसी भेड़ को यह जानकारी नहीं होती है कि वे कहां जा रही हैं, क्यों जा रही हैं, कितनी देर तक और कितनी दूर तक चलना है? ऐसी कोई जानकारी उसे नहीं रहती। वह तो वह तो सामने चलने वाली भीड़ को देखकर ही कदम बढ़ाने लगती हैं। इसे भेड़चाल कहते हैं। आज क्या हो रहा है थोड़ा इस पर भी सोचें धर्म के नाम पर जिसने जो चला दिया उसको करोड़ों करोड़ों व्यक्ति उस पर चल देते हैं। जो कर रहे हें। उसका क्या परिणाम होगा उससे कोई लाभ होगा या नहीं उससे कहीं कोई हानि तो नहीं होगी आदि किसी बात पर वे ध्यान नहीं देते। बस बहुत से लोग कर रहे हैं इसलिए वे भी कर रहे हैं। परन्तु क्षमा करना ऐसी मानसिकता मनुष्यता की पहचान नहीं, यह तो भेड़चाल है। मनुष्य तो वह है जो प्रत्येक कार्य को करने के पहले उस  पर विचार करके सोच समझकर करे। 

इसलिए कहा गया-
ये मत्वा कर्माणि सीव्यन्ति ते मनुष्याः।
मनुष्य वही जो मनन चिन्तन करके कोई काय्र करता है।
इसलिए बिना सोचे समझे परिणाम रहित मात्र दिखावे से हो रहा धर्म प्रचार और उसका अनुसरण धर्म के शुभ, सुखद परिणाम से सबको वंचित कर रहा है।
धर्म का परिणाम सुख, शान्ति धैर्यता, सत्यता, सौहाद्रता, संगठन, प्रेम, अहिंसा, सद्भाव होता है। क्या आज धर्म से यह सब मिल रहा है? जबकि आज मोहल्ले, गली-गली, घर-घर में धर्म का प्रचार है बड़े-बड़े आयोजन हो रहे हैं फिर ऐसा विपरीत असर क्यों?

धर्म के चारों ओर प्रचार के बाद भी आज तो परिवार, समाज, राष्ट्र में अशान्ति, भय, दुःख, दूरियां, पतन, हिंसा क्यों बढ़ रहा है? क्याधर्म का परिणाम इस प्रकार की विकृति है? यदि धर्म के प्रचार-प्रसार से इस प्रकार की अव्यवस्था हो तो फिर धर्म को मानने से क्या लाभ, फिर तो ऐसे धर्म कोन मानना ही ठीक होगा। परन्तु ऐसा नहीं, धर्म तो मानवता की आत्मा है बिना धर्म के तो मनुष्य को मनुष्य ही नहीं कहा गया है। इसलिए धर्म मानना तो प्रत्येक मनुष्य को मनुष्य कहलाने के लिए पहला गुण है। परन्तु धर्म वह है जो जीवन को उन्नति सद्ज्ञान, सद्कर्म के मार्ग पर ले जावे। जिसमें एक दूसरे के प्रति त्याग भाव हो। जो मात्र दिखावा न होकर आचरण में, हमारे व्यवहार में समाया हो। वहीं धर्म समाज व संसार को श्रेष्ठ सुखद स्थान पर ले जा सकता है। धर्म का कार्य श्रेष्ठ मानव का निर्माण करना है। आज कावड़ यात्रायें निकाली जा रही हैं। एक से एक बढ़कर काम्पटीशन हो रहा है, घर बार छोड़कर युवक,युवतियां, पुरुष, महिला और छोटे-छोटे किशोर इसमें सम्मिलित होते हैं। इसका मुख्य कार्य है एक स्थान से जल भरकर लाना और किसी दूसरे स्थान पर उसे छोड़ना है। इसी कर्म व भावना के अनुसार ईश्वर को सिर्फ पानी चढ़ाकर उसकी बड़ी भक्ति का कर लेना समझ लिया जाता है।
परन्तु थोड़ा विचार करें- परमात्मा को जल की आवश्यकता है क्या? दूसरा यह कि, जो जल आपने कहीं से भरा क्या वह आपका अपना बनाया हुआ है?

इसका उत्तर होगा नहीं, न तो परमात्मा को हमारे एक लोटे जल की आवश्यकता है और न ही जो जल हम चढ़ा रहे हैं वह हमारा अपना है। क्योंकि हम उसे जल क्या देंगे जिसने बड़े-बड़े समुद्र पृथ्वी पर और आकाश में बनाएं हैं बड़ी-बड़ी नदियां, तालाब और विशाल गगन चुंभी बर्फीले पहाड़ जिसने रचे हैं, बारिश का अथाह पानी जो हम सबको देता है। इसलिए जो दाता है सबको देता है उसे उस एक लोटे पानी की क्या जरूरत?
दूसरा यह कि जहां से पानी लाए वह भी उसी कादिया हुआ है। उसकी वस्तु उसी को भेंट करके उसे प्रसन्न करने का प्रयास अज्ञानता है। किसी के घर जाकर उसी की वस्तु घर से उठाकर उसे भेंट कर दें तो इससे वह खुश होगा यश हमारी अज्ञानता पर हंसेगा?
परमात्मा को कोई भी भौतिक वस्तु की न तो आवश्यकता है और न ही उसने कभी ग्रहण की है। उसके नाम पर चढ़ावा करके हम ही उस वस्तु को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लेते हैं। अरे, परमात्मा को देना है तो वह दो जो तुम्हारा है। परमात्मा को देने के लिए स्वच्छ हृदय, शुभ कर्म, शुभ विचार और उसकी कृपा के प्रति सदभाव हैं जो हमारे हाथ में हैं, इसके स्वामी हम हैं, यह चढ़ाकर उस परमातमा को प्रसन्न कर सकते हैं।

धार्मिक भाव से यात्रा बहुत अच्छी बात है। किन्तु इसकी सार्थकता व महत्त्व के लिए जो यात्रा निकाली जाती है इसमें बहुत सुधार होना चाहिए। यात्रा के साथ कुछ कर्मकाण्डी विद्वान भी चलें, रास्ते में आने वाले ग्रामों अथवा शहरों में आध्यात्मिक कार्यक्रम करें, प्रतिदिन सुबह सायंकाल यज्ञ, भजन, कीर्तन और ज्ञान वर्धक उपदेश हों। यात्रा के मध्य व्यक्ति, परिवार, समाज व राष्ट्र के प्रति अच्छे उद्गार भरा वातावरण हो। दुर्गुण-दुर्व्यसनों को त्याग सद्गुण ग्रहण करने की प्रेरणा इसमें मिले। किसी प्रकार का नशा व अभक्ष पदार्थों का पूर्णतः सेवन निषेध हो।
जितने दिन कावड़ यात्रा में रहे जीवन संयमित व आध्यात्मिक विचारों से पूर्ण हो। समाज व संस्कृति रक्षा व प्रगति का सन्देश घर-घर पहुंचाने की योजना बनें ताकि सनातन धर्म की अच्छाइयों को समाज समझे व उसके प्रति दृढ़ता हो। ऐसा कार्य कावड़ यात्रा में करना सार्थक है समय, शक्ति, सम्पत्ति का सदुपयोग है।
किन्तु इसके स्थान पर केवल मनोरंजन, नशीले पदार्थों का सेवन, अनुशासनहीनता का प्रदर्शन और मात्र जगह-जगह लगे भोजन नाश्ते के कैम्पों का आनन्द लेने के लिए जो यात्राएं निकाली जावे वे सार्थक नहीं हैं। कई बार देखा गया है कि अनेक कावड़िया गांजा, भांग और यहां तक कि शराब का सेवन करते हुए भी देखे गए। कुछ निठल्ले, बेरोजगार इसी बहाने कुछ दिन माजमस्ती में कट जायेंगे, यात्राओं में शामिल होते देखे गए। इन सबसे मनोरंजन या अपना पैसा खर्च कर सस्ती लोकप्रियता अथवा अहम की तुष्टि तो हो सकती है किन्तु युवा पीढ़ी का भटकाव समाज की सबसे बड़ी हानि है।
हमारे मुस्लिम सम्प्रदाय के उन व्यक्तियों से सीखना चाहिए जो यात्रा करते हैं पर अपना खर्च करके सादा जीवन व्यतीत करके इस्लाम का घर-घर में प्रचार करते हैं। इस्लाम के प्रति इस्लाम के अनुयायियों में कट्टरता आए। उनका ऐसा प्रयास उनके मजहब की दृष्टि से सार्थक है समय व शक्ति की बर्बादी नहीं है। उनसे सीखकर सत्य सनातन धर्म के लाभार्थ कुछ यदि हो सके तो ऐसी कावड़ यात्रा को निकालना सार्थक होगा।
-सभामंत्री, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली


Wednesday 26 July 2017

अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन म्यांमार (बर्मा) 2017


अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन म्यांमार (बर्मा) 2017
दिनांक 06, 07, तथा 08 अक्टूबर 2017 25 जुलाई 2017
सम्माननीय आर्य बन्धुओ!
सादर नमस्ते। आपको यह सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के तत्त्वावधान में इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 06, 07 तथा 08 अक्टूबर 2017 को म्यांमार (बर्मा) के माण्डले शहर में सम्पन्न होने जा रहा है। इस सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिये अनेक देशों के प्रतिनिधि भी बर्मा पहुंचेंगे। भारतवर्ष से भी इस सम्मेलन में भाग लेने हेतु काफी आर्यजनों के पहुंचने की सम्भावना है।
सभी इच्छुक आर्यजन जो इस सम्मेलन में भाग लेने हेतु जाना चाहते हैं वे सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के माध्यम से ही भाग ले सकेंगे। सार्वदेशिक सभा के द्वारा स्वीकृत सदस्यों को ही आर्य प्रतिनिधि सभाबर्मा द्वारा प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार कर उनकी व्यवस्था की जायेगी।



माण्डले में ब्रिटिश शासनकाल में यहां किलानुमा जेल थी जहां भारत माता के अनेक वीर सपूतों को बंदी बनाकर रखा गया था। किले के अवशेष आज भी भारतीय क्रांति की स्मृति ताजा कर देते हैं। प्रसिद्ध आर्य समाजी लाला लाजपत रायबाल गंगाधर तिलकसुभाषचन्द्र बोस समेत कई क्रांन्तकारी यहां एकांतवास में रखे गये थे। अकेले और असुविधाओं के बीचसिर्फ इसलिए कि आर्य समाज भारत देश से गुलामी की बेड़ियां काटकर फेंक देने पर अडिग था जिसे अंग्रेजी हुकूमत नहीं चाहती थी।
माण्डले का मौसम लगभग भारत जैसा ही है। सर्दियों में कड़ीसर्दीगर्मियों में आकाश से लेकर धरती तक भट्टी की तरह तपाती गरमी तो बरसात में भारी वर्षा भी यहां होती है। मंदिरोंप्राकृतिक सुषमा और सौन्दर्य से भरपूर यह शहर अपनी अनेक विशेषताओं के कारण भी जाना जाता है। यहां दुनिया की सबसे बड़ी पुस्तक के रूप में एक मंदिर विद्यमान है यानी कि किताब के हर पृष्ठ के रूप में एक मंदिर बना है जिनकी संख्या करीब 500 से ज्यादा है।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रह्मदेश यानी बर्मा में 120 वर्ष के लम्बे अंतराल के पश्चात् यह आर्य महासम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। अनेकों आर्यजन इस अवसर पर बर्मा के अन्य महत्त्वपूर्ण स्थलों का भी भ्रमण करना चाहते हैं इसलिये उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए बर्मा के कुछ रमणीय एवं महत्वपूर्ण स्थानों की यात्रा का भी रोचक कार्यक्रम बनाया गया है। यात्रा की जानकारी निम्न प्रकार है-

म्यांमार (बर्मा) यात्रा नं. 1
2 अक्टूबर से 9 अक्टूबर 2017
दिल्ली से (7 रात्रि 8 दिन)   कोलकता से (8 रात्रि 9 दिन)

कार्यक्रम
02.10.2017  दिल्ली से जाने वाले यात्री रात्रि को हवाई जहाज द्वारा बैंकाक होते हुए 3 अक्टूबर को सुबह रंगून पहुंचेंगे। कोलकता से जाने वाले यात्री 2 अक्टूबर की सुबह ढाका होते हुए उसी दिन शाम को रंगून पहुंचेंगे और रात्रि विश्राम रंगून में करेंगे।
03.10.2017  इस दिन दिल्ली से तथा कोलकता से आने वाले सभी यात्री रंगून की सैर करेंगे तथा रात्रि विश्राम होटल में करेंगे।
04.10.2017 सुबह इनले लेक के लिये हवाई जहाज द्वारा प्रस्थानइनले लेक का भ्रमणरात्रि विश्राम इनले लेक में।
  (पानी के अन्दर बसे हुए शहर को देखने के लिये इनले लेक पूरे विश्व में विख्यात है)
05.10.2017 इनले लेक से मांडले के लिये ए.सी. लक्जरी कोचों द्वारा प्रस्थानशाम को मांडले भ्रमणरात्रि विश्राम मांडले में।
06.10.2017 अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन (अम्बिका मंदिर परिसरमांडले)
07.10.2017 अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन (अम्बिका मंदिर परिसरमांडले)
08.10.2017 अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन (अम्बिका मंदिर परिसरमांडले)
09.10.2017 दिल्ली जाने वाले यात्री मांडले से सुबह दिल्ली के लिये बैंकाक होते हुए प्रस्थान करेंगे तथा कोलकता जाने वाले यात्री मांडले से रंगून तथा ढाका होते हुए कोलकता पहुंचेंगे। दिल्ली वाले यात्री उसी दिन रात्रि को लगभग 11 बजे दिल्ली वापस पहुंचेंगे और कोलकता वाले यात्री रात्रि को उसी दिन लगभग 8 बजे कोलकता पहुंचेंगे।

यात्रा व्यय
दिल्ली से जाने वाले यात्रियों के लिये रु. 78500/- प्रति व्यक्ति
कोलकता से जाने वाले यात्रियों के लिये        रु. 65500/- प्रति व्यक्ति
इस राशि में सभी हवाई यात्राओं का किराया, 6/7 रात्रि का 4 स्टार होटलों का भाड़ालक्जरी कोच का भाड़ारंगूनइनले लेक तथा मांडले का भ्रमण व्ययभोजन व्ययबीमा तथा वीजा आदि शामिल हैं।
उक्त यात्रा हेतु दिल्ली से केवल 75 सीटों का आरक्षण करवाया गया है तथा कोलकता से केवल 25 सीटों का आरक्षण करवाया गया है। कृपया ध्यान रखें कि इन सीटों की पूर्ति होने के पश्चात् उक्त यात्रा-दर में वृद्धि हो सकती है इसलिये शीघ्र से शीघ्र अपनी सीट बुक करा लें।
नोट : (1) एअरलाइन्स का निश्चय हो जाने के पश्चात् आपको समय आदि की सूचना आपके मोबाइल अथवा ई.मेल पर भेज दी जायेगी। यात्रा व्यय की सम्पूर्ण राशि एक ही बार में THOMAS COOK(I) Ltd. के नाम बैक ड्राफ्ट(Payable at Ahmedabad) द्वारा निम्न पते पर तत्काल भेजनी होगीः
श्री प्रकाश आर्यमंत्री-सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, 15 हनुमान रोडनई दिल्ली-110001
(2) बैंक ड्राफ्ट के अतिरिक्त आपको निम्नलिखित सामान भी साथ में दिल्ली भेजना हैः
  (A) स्वयं का पासपोर्ट जिसकी वैधता (Validity)05-04-2018  तक हो (B) Visa Application Form की 3 प्रति (तीनों पर अलग-अलग हस्ताक्षर करके) (C) चार कलर फोटोग्राफ 35x45mm साइज के (वाहट बैंक ग्राउन्ड के साथ) (D) दो कोरे लैटर हैड (स्टाम्प व हस्ताक्षर सहित) (E) यदि आप स्वयं रोजगार करते हैं तो कम्पनी के रजिस्ट्रेशन क जैरोक्स कापी तथा पार्टनरशिप डीड की जैरोक्स कॉपी भेजनी हैयदि आपकी कम्पनी प्रा. लि. है तो Mcmorandum of Article की जैरोक्स कॉपी भेजनी है।

म्यांमार (बर्मा) यात्रा नं. 2
(केवल दिल्ली से जाने वाले यात्रियों के लिये)
30 सितम्बर से 9 अक्टूबर 2017
(9 रात्रि 10 दिन)

कार्यक्रम
30.09.2017  रात्रि को दिल्ली से क्वालालम्पुर (मलेशिया) के लिये हवाई जहाज द्वारा प्रस्थान
01.10.2017  सुबह क्वालालम्पुर आगमनदिन में सिटी टूररात्रि विश्राम क्वलालम्पुर में
02.10.2017  पूरे दिन क्वालालम्पुर के दर्शनीय स्थलों का भ्रमणरात्रि विश्राम क्वालालम्पुर में
03.10.2017  सुबह हवाई जहाज से रंगून आगमनदिन में रंगून की सैररात्रि विश्राम रंगून में
04.10.2017  सुबह इनले लेक के लिये हवाई जहाज द्वारा प्रस्थानइनले लेक का भ्रमणरात्रि विश्राम इनले लेक में
05.10.2017  इनले लेक से मांडले के लिए ए.सी. लक्जरी कोचों द्वारा प्रस्थानशाम को मांडले भ्रमणरात्रि विश्राम मांडले में
06.10.2017 अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन (अम्बिका मंदिर परिसरमांडले)
07.10.2017 अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन (अम्बिका मंदिर परिसरमांडले)
08.10.2017 अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन (अम्बिका मंदिर परिसरमांडले)
09.10.2017 मांडले से हवाई जहाज द्वारा सुबह रंगून तथा क्वालालम्पुर होते हुए दिल्ली के लिये प्रस्थान (दिल्ली आगमन रात्रि को)
नोट : एअरलाइन्स का निश्चय हो जाने के पश्चात् आपको समय आदि की सूचना आपके मोबाइल अथवा ई.मेल पर भेज दी जायेगी।

यात्रा व्यय
रु. 99500/- प्रति व्यक्ति
इस राशि में सभी हवाई यात्राओं का किराया, 8 रात्रि का 4 स्टार होटलों का भाड़ालक्जरी कोच का भाड़ाक्वालालम्पुररंगूनइनले लेक तथा मांडले का भ्रमण व्ययभोजन व्ययबीमा तथा दोनों देशों के वीजा आदि शामिल है।
(1) उक्त यात्रा दर केवल प्रथम 25 यात्रियों के लिये है। उसके पश्चात्! यात्रा दर में वृद्धि हो सकती है। इसलिये शीघ्रातिशीघ्र अपनी सीट बुक करा लें। यात्रा व्यय की सम्पूर्ण राशि एक ही बार में THOMAS COOk(I) Ltd. के नाम बैंक ड्राफ्ट(Payable at Ahmedabad) द्वारा निम्न पते पर तत्काल भेजनी होगीः
श्री प्रकाश जी आर्यमंत्री-सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, 15 हनुमान रोडनई दिल्ली-110001
(2) बैंक ड्राफ्ट के अतिरिक्त आपको निम्नलिखित सामान भी साा में दिल्ली भेजना हैः
   (A) स्वयं का पासपोर्ट जिसकी वैधता (Validity) 05.04.2018 तक हो (B) 35x50mm साइज के चार कलर फोटोग्राफ (वाइट बैक ग्राउन्ड के साथ)

कुछ आवश्यक सूचनाएं
(1) आर्य-सन्देश में प्रकाशित यात्रा विवरण के आधार पर जो यात्री रु. 15000/- की राशि भेज चुके हैं वे शेष राशि THOMAS COOK(I) Ltd. के नाम ड्राफ्ट बनवाकर दिल्ली के पते पर भेजने का कष्ट करें।
(2) यात्रा नं. 1 के लिये दिल्ली से केवल 75 सीटें बुक कराई गई हैं और कोलकता से केवल 25 सीटें ही बुक करवाई गई हैं। इन सीटों के आरक्षित हो जाने के बादइस यात्रा में शामिल होने वाले यात्रियों को अधिक यात्रा व्यय देना पड़ सकता है। अतः शीघ्रातिशीघ्र अपनी सीट बुक कराने का प्रयास करें।
(3) यात्रा व्यय में 70 वर्ष तक की आयु के यात्रियों का बीमा शुल्क शामिल है। 70 वर्ष से अधिक उम्र वाले यात्रियों को यात्रा की व्यय-राशि देनी होगी। ऐसे यात्री स्वयं भी अपना बीमा करा सकते हैं।
(4) सभी यात्रियों को यात्रा की व्यय-राशि के ड्राफ्ट के साथ पासपोर्ट के प्रथम दो पृष्ठ तथा अन्तिम दो पृष्ठ की जेरोक्स कापी अवश्य भेजनी है। एअर लाइन की टिकिट के लिये इसकी आवश्यकता रहती है।
(5) संलग्न आवेदन पत्र पर सम्बन्धित आर्य समाज के पदाधिकारियों की अनुमतिध्स्वीकृति आवश्यक है।
(6) सार्वदेशिक सभा द्वारा इस यात्रा हेतु 4 सदस्यों की एक समिति गठित की गई है जिसके संयोजक श्री प्रकाश आर्यमंत्री-सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा हैं। अन्य सदस्य (1) श्री एस.पी. सिंहदिल्ली (2) श्री अरुण प्रकाश  वर्मादिल्ली तथा (3) श्री शिव कुमार मदान दिल्ली हैं। श्री एस.पी. सिंह इस यात्रा के मुख्य सम्पर्क सूत्र रहेंगे। इन सभी के मोबाइल नम्बर नीचे दिये गये हैं।
(7) सार्वदेशिक सभा के अधिकारियों को यात्रा के कार्यक्रम में परिस्थितिवश फेरफार करने का पूर्ण अधिकार होगा।
(8) याद रहे कि इस यात्रा के लिये आपके पासपोर्ट की वैधता (Validity) 05/04/2018 तक होनी आवश्यक है।
(9) इमीग्रेशन में दिखाने हेतु अपना क्रेडित कार्ड या डेबिट कार्ड साथ में अवश्य रख लें।
(10) अपने साथ न्यूनतम 500 US डालर प्रति यात्री अवश्य ले चलें।

यात्रा कैन्सिल कराये जाने पर कैन्सीलेशन चार्जेज निम्न प्रकार लागू होंगे :
(1) 20 अगस्त 2017 के बाद यात्रा कैन्सिल कराने पर 50% कटौती की जायेगी।
(2) 5 सितम्बर 2017 के बाद यात्रा कैन्सिल करने पर 100% कटौती की जायेगी।
(3)  यात्रा प्रस्थान की तारीख से 25 दिन पूर्व वीजा न मिलने पर रु. 12000/- की कटौती होगी, 15 दिन पूर्व वीजा न मिलने पर 50% कटौती होगी तथा 1 सप्ताह पूर्व वीजा न मिलने पर 75% कटौती होगी।

कृपया उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखकर ही आवेदन पत्र व राशि भेजें ताकि बाद में अकारण कोई विवाद न हो। यात्रा सम्बन्धी अन्य जानकारी हेतु आप मुझसे तथा निम्नलिखित महानुभावों से सम्पर्क कर सकते हैं:
1. श्री एस.पी. सिंह मो. 9540040324   (यात्रीगण सर्वप्रथम इनसे ही सम्पर्क करें)
2. श्री अरुण प्रकाश वर्मा मो. 9810086759  (श्री एस.पी. सिंह से सम्पर्क न होने ही इनसे सम्पर्क करें)
3. श्री शिव कुमार मदान मो. 9310474979  (श्री एस.पी. सिंह से सम्पर्क न होने पर ही इनसे सम्पर्क करें)

आवेदन पत्र भेजने की अन्तिम तिथि 31 अगस्त 2017

हमें पूर्ण विश्वास है कि आपकी यह यात्रा अत्यन्त सुखदआरामदायक एवं रोमांचक रहेगी।
भवदीय
(प्रकाश आर्य)
मो. 09826655117

सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली
अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2017 हेतु आवेदन पत्र

श्री प्रकाश आर्य
मंत्री-सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा
15 हनुमान रोड,
नई दिल्ली-110001

महोदय,
मैं अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेन 2017 में भाग लेने जाना चाहता हूंध्चाहती हूं। इस सम्बन्ध में आपके द्वारा प्रेषित जानकारी को मैंने अच्छी तरह पढ़ लिया है तथा उसमें दी गई सभी बातें मुझे स्वीकार हैं। मेरी अन्य जानकारी निम्न प्रकार हैः
नाम :...................................................................................पिताध्पति का नाम : ......................................................................
आयु :......................................जन्म दिनांक : .....................................व्यवसाय :.........................................................................
स्थाई पता : ........................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................
टेलीफोन व मोबाईल नम्बर : ..............................................................ई.मेल :............................................................................
मैं आर्य समाज ..........................................................................................................................का/की सदस्य हूं।
यात्रा नं. 1. दिल्ली से
मैं यात्रा नं. 1 में दिल्ली से शामिल होना चाहताध्चाहती हूं। मैं इस यात्रा की पूर्ण राशि रु. ........................../- का बैंक ड्राफ्ट साथ में भेज रहा हूं/रही हूं। साथ में अपना पासपोर्ट, 4 कलर फोटोग्राफवीजा फार्म तथा 2 कोरे लैटरहैड भेज रहा हूं/रही हूं। कृपया मेरी यात्राआरक्षित करक मुझे सूचना देने का कष्ट करें।
यात्रा नं. 1 कोलकता से
मैं यात्रा नं. 1 में कोलकता से शामिल होना चाहताध्चाहती हूं। मैं इस यात्रा की पूर्ण राशि रु. ......................./- का बैंक ड्राफ्ट साथ में भेज रहा हूं/रही हूं। साथ में अपना पासपोर्ट, 4 कलर फोटोग्राफवीजा फार्म तथा 2 कोरे लैटर हैड भेज रहा हूं/रही हूं। कृपया मेरी यात्रा आरक्षित करके मुझे सूचना देने का कष्ट करें।
यात्रा नं. 2 केवल दिल्ली से
मैं यात्रा नं. 2 में शामिल होना चाहताध्चाहती हूं। मैं इस यात्रा की पूर्ण राशि रु...................../- का बैंक ड्राफ्ट साथ में भेज रहा हूंध्रही हूं। साथ में पासपोर्ट के प्रथम तथा अन्तिम दो पृष्ठ की जैरोक्स भेज रहा हूं/रही हूं। कृपया मेरी यात्रा आरक्षित करके मुझे सूचना देने का कष्ट करें।
अपना पासपोर्टचार कलर फोटोग्राफ (35x45 एए) बर्मा के लिये, 4 कलर फोटोग्राफ (35x50एए) मलेशिया केग लियेबर्मा का वीजा फॉर्म तथा दो कोरे लैटरहैड भेज रहा हूं/रही हूं। कृपया मेरी यात्रा आरक्षित करके मुझे सूचना देने का कष्ट करें।
आर्य समाज की अनुमति (रबर स्टाम्प के साथ)

भवदीय/भवदीया

(आवेदक के हस्ताक्षर)
दिनांक : ....................


GOVERNMENT  OF THE REPUBLI OF THE UNION OF MYANMAR MINISTRY OF IMMIGRATION AND POPULATION

DIRECTORATE OF IMMIGRATION AND NATIONAL REGISTRATION IMMIGRATION DEPARTMENT
APPLICATION FOR ENTRY TOURIST  VlSA

PHOTO
I.   Name in full (In Block Letters)     _
2.   Father's Name in full ------------'---------------

3.   Nationality---------------
5.   Date of birth       _

4. Sex                    _

6. Place of birth-------

7. Occupation  _
8.   Personal description

(a) Color of hair       _
(c) Color of eyes      _
9.   Passport
(a) Number-------------
(c) Place of issue      _
(e) Date of expiry     _

(b) Height------• (d) Complexio -------

(b) Date of issue    _ (d) Issuing authority   _

10.Pennanentaddress_    _

11. Address in Myanmar  -------------------------
12. Purpose of entry into Myanmar    _
13. Attention for Applicants
(a) Applicant shall abide by the Laws of the Republic of the Union of Myanmar and shall
not interfere in the internal affairs of the Republic of the Union of Myarunar.
(b) Legal actions will be taken against those who violate or contravene any provision of the
existing laws, rules and regulations of the Republic of the Union of Myanmar.
I hereby declare that 1  full understand  the above: mentioned  conditions, that the particulars  giveabove  are true and correct and tha I will  not engage  in any activities  irrelevant to the purpose  of
entry stated herein.

Date  _

Signature of Applicant
{FOR OFFICIAL USE ONLY)


VisaNo---------------
Visa Authority     _
Date -----------

Date_:c_             _
 Place       New Delhi, Republic of India                           
Embassy of the Republic of the Unioof Myanmar, New Delhi